कर्मधारय समास
प्रातिपदिक उर्फ़ मूल संज्ञा (-A / ~आ) को विशेषण, क्रिया, संख्या, और सर्वनाम के साथ द्विगु समास या कर्मधारय समास की तरह जुड़ सकता है।
la
saura
वह छिपकली
sa
saura
klorosa
यह हरी छिपकली
la
penta
saura
fagosa
वे पाँच छिपकलियाँ जो कुछ खाती हैं
वाक्य
वाक्य के आरंभ में विधेय के सामने संज्ञा के लिए कर्ता की विभक्ति (-AI / ~आय) का प्रयोग किया जाता है। इसका विधेय क्रिया या विशेषण या संज्ञा है।
Lai
saura.
वह छिपकली है।
Sa
saurai
klorosa.
यह छिपकली हरे रंग की है।
La
penta
saurai
fagosa.
उन पांच छिपकलियों ने कुछ खाया।
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास की दो प्रकार से रचना होती है। दोनों का अर्थ एक ही है। ओकार विभक्ति (-O / ~ओ) उर्फ़ संबंध कारक का प्रयोग साधारण समास में किया जाता है। इस समास में पूर्व पद गौण तथा उत्तर पद प्रधान होता है।
fita : fito oeka
ma : mo amika
एकार विभक्ति (-E / ~ए) उर्फ़ इज़ाफ़त कारक का प्रयोग विपरीत तत्पुरुष समास में किया जाता है। इस समास में पूर्व पद प्रधान तथा उत्तर पद गौण होता है।
karta : karte urba
kotila : kotile otsa
सकर्मक क्रिया
क्रिया और कर्म को जोड़कर तत्पुरुष समास की तरह विधेय को व्यक्त किया जाता है। ओकार विभक्ति (-O / ~ओ) का प्रयोग कर्म कारक की तरह किया जाता है, इसलिए इस विधेय में पूर्व पद इसका कर्म तथा उत्तर पद इसकी क्रिया होता है। यह विधि प्रभाव, विनाश, और परिवर्तन की क्रियाओं के लिए अनुशंसित है।
iktia : Lai iktio fagosa.
biblia : Lai biblio opsonosa.
एकार विभक्ति (-E / ~ए) का प्रयोग क्रिया कारक की तरह किया जाता है, इसलिए इस विधेय में पूर्व पद इसकी क्रिया तथा उत्तर पद इसका कर्म होता है। यह विधि बुद्धीन्द्रिय उर्फ़ संवेद और सृजन की क्रियाओं के लिए अनुशंसित है।
optosa : Mai optose ornita.
grafosa : Tai grafose pikta.